भेद क्या बाक़ी बचा है अब कुछ
तेरे बंदों की नज़र में सब कुछ
काम जब उनके निकल जाएँगे
काम हम अपना करेंगे तब कुछ
पेट पर हाथ रख, बजा ताली
देवता पी तो रहा है सब कुछ
शर्त जब उसकी थी अजीबो-ग़रीब
क्यों नहीं तुमने कहा था तब कुछ
सर्द मौसम में गर्मी लगने लगी
लगता है सोच रहा है रब कुछ
न कभी देखा न महसूस किया
लगता है नाम सुना है 'रब' कुछ
संजय ग्रोवर
तेरे बंदों की नज़र में सब कुछ
काम जब उनके निकल जाएँगे
काम हम अपना करेंगे तब कुछ
पेट पर हाथ रख, बजा ताली
देवता पी तो रहा है सब कुछ
शर्त जब उसकी थी अजीबो-ग़रीब
क्यों नहीं तुमने कहा था तब कुछ
सर्द मौसम में गर्मी लगने लगी
लगता है सोच रहा है रब कुछ
न कभी देखा न महसूस किया
लगता है नाम सुना है 'रब' कुछ
संजय ग्रोवर
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