ग़ज़ल / हिंदी गज़लें
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लोकप्रिय रचनाकारों की ग़ज़ल /ग़ज़लें
March 08, 2017
नक़्श फ़रियादी है किसकी शोख़ी-ए-तहरीर का / ग़ालिब
February 14, 2017
मोहरा, अफवाहें फैला कर
February 13, 2017
भेद क्या बाकी बचा है
February 13, 2017
लड़के वाले नाच रहे थे लड़की वाले गुमसुम थे
February 13, 2017
रोज़ का उसका आना-जाना
February 13, 2017
दिन हैं क्या बदलाव के, अवकाश के!
February 13, 2017
उसको मैं अच्छा लगता था
February 13, 2017
ज़ुबां तक बात
February 13, 2017
झूठ पहनकर कितने अच्छे लगते हो
February 13, 2017
तलघर में आयोजित सूरज
February 13, 2017
वो गरचे बोलता बिलकुल नहीं था
February 13, 2017
हैं मौसमे गर्मी से परेशान क्या करें
February 13, 2017
तमाम घर को बयाबां बनाके रखता था
February 13, 2017
कच्ची मिट्टी से लगन इतनी लगाता क्यों है
February 13, 2017
नहीं जहाज़ तो फिर बादबान किसके लिए
February 13, 2017
बात करता है इतने अहंकार की
February 13, 2017
रस्ता इतना अच्छा था
February 13, 2017
यहाँ लोगों की आपस में ठनी है
February 13, 2017
दानिशमंदों के झगड़े हैं
February 13, 2017
कितनी मुश्किल उठानी पड़ी
February 13, 2017
उस जगह सरहदें नहीं होतीं
February 13, 2017
सच का क़द झूट से बड़ा है न
February 13, 2017
टूट जाने तलक गिरा मुझको
February 13, 2017
जूगनू बन या तारा बन
February 13, 2017
सबका यही ख़्याल कभी था पर अब नहीं
February 13, 2017
काम करेगी उसकी धार
February 13, 2017
उससे मिल आये हो लगा कुछ कुछ
February 13, 2017
तू भूख, प्यास, जुल्म की न बात कर अभी
February 13, 2017
क्या हुआ उपवन में, क्यों सारे शजर लड़ने लगे
February 13, 2017
आपस में अगर अपनी मुहब्बत बनी रहे
February 13, 2017
क्या अजब दुनिया बनाई, तूने ऐ परवरदिगार
February 13, 2017
हमको सोने की कलम, चांदी की स्याही चाहिए
February 13, 2017
आपस में अगर अपनी मुहब्बत बनी रहे
February 13, 2017
दावानल सोया है कोई, जहां एक चिंगारी में
February 13, 2017
बदल गए हैं यहां साहिबे-नज़र कितने
February 13, 2017
जो भी शम्मे वफा जलाएगा।
February 13, 2017
यादों का जब साया होगा।
February 13, 2017
क्यों परेशाँ आदमी है आजकल।
February 13, 2017
अगर चलने का ज़रा कायदा होता,
February 13, 2017
आया किये थे तेरे शहर आइना होकर
February 13, 2017
आज ज़ख़्मों को हवा दो यारों
February 13, 2017
धूप फिर ये छत छत उतरी है,
February 13, 2017
बुतकदे में सजा हुआ पत्थर
February 13, 2017
देखने वालों को भरमाती रहीं
February 13, 2017
देखते ही देखते सब के चुराकर ले गया।
February 13, 2017
हर लम्हा ज़िन्दगी के पसीने से तंग हूँ
February 13, 2017
जिनके अंदर चिराग
February 13, 2017
सुबह लगे यूँ प्यारा दिन
February 13, 2017
दिल लगाने की भूल थे पहले
February 13, 2017
दिल में ऐसे उतर गया कोई
February 13, 2017
दो ग़ज़लें / सुरेशचंद्र शौक
February 13, 2017
कहीं कुछ तो बदलना चाहिए अब
February 13, 2017
इन दबी सिसकियों से क्या होगा
February 13, 2017
वो आग फेंक गये
February 13, 2017
जाने कब होगा ये धुआँ गायब,
February 13, 2017
कह दो, इसमें मानी क्या?
February 13, 2017
सफर में रास्ता देखा हुआ मिले, न मिले,
February 13, 2017
इन कूओं के पानी से क्या बुझ पाएगी आग ?
February 13, 2017
रास्ते जो हमेशा सहल ढूँढ़ते हैं,
February 13, 2017
पीपल की छाँव कच्चे मकां मन को भा गए,
February 13, 2017
आदमी कितना निराला हो गया है,
February 13, 2017
जलते सूरज की आँखों में रात कोई दहता है,
February 13, 2017
है ये शोला या के चिंगारी है,
February 13, 2017
चोट दिल पर लगी नहीं होती
February 13, 2017
ख्वाब जैसे ख्याल होते हैं
February 13, 2017
इस तकलुफ़ का भी जवाब नहीं
February 13, 2017
मेरा ये इतिहास रहा
February 13, 2017
वो जब कोई भंवर पैदा करेगा।
February 13, 2017
ज़ख्म बदन पर खाते हैं, फिर ज़ख्म भराई देते हैं।
February 13, 2017
कमरे में सजा रक्खा है बेजान परिन्दा।
February 13, 2017
हमें ये सोच के रोना पड़ेगा
February 13, 2017
लोग जब अपनापन जताते हैं
February 13, 2017
किया रूह को क्या किसी के हवाले
February 13, 2017
डर कैसा रुसवाई का
February 13, 2017
बदल कर रुख़ हवा उस छोर से आए तो अच्छा है
February 13, 2017
दिल दुखाती थी जो पहले, दिल को रास आने लगी है
February 13, 2017
सुख का गोरी नाम न लेना दुख ही दुख है गाँवों में।
February 13, 2017
क्या है उस पार, कोई शख़्स ये समझा न सका
February 13, 2017
जाने किस बात की अब तक वो सज़ा देता है
February 13, 2017
जब इरादा करके हम निकले हैं मंज़िल की तरफ़
February 13, 2017
लो चुप्पी साध ली माहौल ने सहमे शजर बावा
February 13, 2017
इतने टुकड़ों में बँट गया हूँ मैं
February 13, 2017
यही सोचकर निकला घर से।
February 13, 2017
हमको कोई गिला नहीं
February 13, 2017
जो नचाते रहे पहले कठपुतलियाँ।
February 13, 2017
सभी को लुत्फ़ आता है पराये माल में जैसे।
February 13, 2017
हर अधूरी कहानी रही
February 13, 2017
पुराना ठूँठ बरगद का पुन: हमने हरा देखा
February 13, 2017
क्यों करते हो बात शहर की।
February 13, 2017
एक दुश्मन बहुत पुराना है।
February 13, 2017
सजा मेरी खताओं की
February 13, 2017
दरोगा है वो दुनिया का दरोगाई दिखाता है।
February 13, 2017
तुम ज़रा यूँ ख़याल करते तो
February 13, 2017
कभी तो दर्ज होगी
February 13, 2017
जिगर का खूँ
February 13, 2017
हारते ही आए लेकिन अब नहीं हारंेगे हम
February 13, 2017
माफ कर दो, भूल जाओ, गम करो, गुस्सा करो
February 13, 2017
क्यों कभी मौका ही ऐसा दुश्मनों को दो
February 13, 2017
पहचान तलाशें
February 13, 2017
बँटवारे की पीड़ा
February 13, 2017
मुझे टूटन
February 13, 2017
सबको अपनी रहे ख़बर
February 13, 2017
राह तो एक थी
February 13, 2017
क्या कहें जिंदगी
February 13, 2017
खूब दिलकश
February 13, 2017
हैरानी बहुत है
February 13, 2017
बेकरार क्या करता
February 13, 2017
कौन यहाँ खुशहाल
February 13, 2017
जिगर में हौसला
February 13, 2017
आँखों को कोर भिगोना क्या
February 13, 2017
जब मैं छोटा बच्चा था
February 13, 2017
उसको अगर परखा नहीं होता
February 13, 2017
दर्द तो जीने नहीं देता मुझे
February 13, 2017
खुद से जुदाई
February 13, 2017
हैं अभी आए
February 13, 2017
आस इक भी
February 13, 2017
रो कर मैंने हँसना सीखा
February 13, 2017
मेरी यही इबादत है
February 13, 2017
मुस्कुरा के हाल कहता
February 13, 2017
बाँटी हो जिसने तीरगी
February 13, 2017
बच्चे से बस्ता है भारी
February 13, 2017
जीने की ललक
February 13, 2017
कभी जिन्दगी ने
February 13, 2017
कभी जिन्दगी ने
February 13, 2017
आशा का दीपक
February 13, 2017
आने वाले कल का स्वागत
February 13, 2017
अभिसार जिन्दगी है
February 13, 2017
रात गर हूँ
February 13, 2017
हम न पूछेंगे
February 13, 2017
दीवानों सी बातें
February 13, 2017
क्या मिला है
February 13, 2017
तेरा ही तो हिस्सा हूँ
February 13, 2017
तनहा क्या करता
February 13, 2017
जैसे बाज परिंदों में
February 13, 2017
दिल भी वो है
February 13, 2017
उनसे मिलने जाना है
February 13, 2017
आग अपनी और उनकी रोटियाँ सिकती रहीं
February 13, 2017
वेदना जब से सयानी हो गई
February 13, 2017
अर्चना करता रहा मैं आपकी
February 13, 2017
जाम खाली
February 13, 2017
घुट घुटकर
February 13, 2017
कोई सोए कोई जागे
February 13, 2017
आजमाइश जिन्दगी से
February 13, 2017
बात चलती रही
February 13, 2017
आपसे क्या मिली नज़र
February 13, 2017
जिंदगानी पराई हुई
February 13, 2017
फक्कड़ कबीर
February 13, 2017
पल निकल जाएँगे
February 13, 2017
देखे दुनिया जहान
February 13, 2017
काल की तेज़ धारा से कट कर कटी
February 13, 2017
आपस में लड़कर अक्सर घायल हो जाते हैं
February 13, 2017
वो सफ़र में साथ है इस अदाकारी के साथ
February 13, 2017
कम अनुमानों में निकले
February 13, 2017
अभी भी धूप में गर्मी बची है
February 13, 2017
राह नहीं थी इतनी मुश्किल
February 13, 2017
रास्ता मुख्तसर नहीं होता।
February 13, 2017
क्या मालूम
February 13, 2017
तेरी शफ़कत के साए साए हैं।
February 13, 2017
वो तो कठपुतली है बाबू
February 13, 2017
पतझड़ को न देना तूल
February 13, 2017
दिल को बहला जाती थी
February 13, 2017
बड़ी बेजोड़ ये सौग़ात होती
February 12, 2017
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सोच के ये निकले
February 12, 2017
कू-ब-कू फैल गई बात शनासाई की परवीन शाकिर ग़ज़ल
May 30, 2020
ग़ज़ल /ग़ज़लें FAMOUS GHAZAL
November 30, 2019
जब से क़रीब हो के चले ज़िंदगी से हम निदा फ़ाज़ली ग़ज़ल
May 30, 2020
देख तो दिल कि जाँ से उठता है मीर तक़ी मीर ग़ज़ल
May 30, 2020
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